महान चिंतक सुकरात से एक व्यक्ति ने सफलता का रहस्य पूछा| सुकरात उस व्यक्ति को नदी के किनारे बुलाया| उस व्यक्ति को अपने साथ लेकर नदी के धारा में आगे बढ़ने लगे| पानी जब गले तक आ गया तो सुकरात ने उसे गर्दन से पकड़कर पानी के अंदर डुबो दिया; जब उसका शरीर नीला पड़ने लगा तब सुकरात ने उसे छोड़ा; और बाद में उससे पूछा, “जब तुम्हारा सर पानी के अंदर था तब तुम्हे सबसे ज्यादा किस चीज़ की इच्छा थी?”
उस व्यक्ति ने जवाब दिया, “हवा की|”
तब सुकरात ने कहा, “सफलता की इच्छा यदि इतनी ही गहरी हो जैसी डूबने वाले व्यक्ति के लिए हवा की होती है, तो उसे सफलता जरूर मिलेगी | इसका यही एकमात्र रहस्य है, दूसरा और कुछ नहीं|”
मशहूर फ्रांसीसी चिन्तक ब्लेज पास्कल के पास एक व्यक्ति आया और बोला कि अगर मेरे पास भी आप जैसा दिमाग हो तो मै भी आप और सुकरात जैसा बन सकता हूँ| पास्कल ने जवाब दिया, “सुकरात जैसा सुंदर और बेहतर इंसान बनो, तुम्हारा दिमाग खुद-ब-खुद मेरे और सुकरात जैसा हो जायेगा|”
सफलता कंठस्त करने या खूब पढ़ने में नहीं मिलती, सफलता समझने और अमल करने से प्राप्त होती है| इसीलिए आप अगर किसी व्यक्ति या समाज के लिए काम करते हैं तो परमात्मा के खातिर, अपने सद्विचारों पर ईमानदारी से अमल कीजिये|
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