Tuesday 31 May 2011

भुल्लर की मौत पर आखिरी मुहर लगने के साथ ही एक बार


भुल्लर की मौत पर आखिरी मुहर लगने के साथ ही एक बार फिर यह सवाल सर चढ कर बोल रहा है कि राज-व्यवस्था को सुनिश्चित तरीके से एक प्रणाली, एक व्यवस्था के तहत किसी मनुष्य की हत्या की छूट कैसे दी जा सकती है?
मृत्युदंड की व्यवस्था कायम रखने के पीछे राज-व्यवस्था का तर्क यह है की यह दंड, उदाहरण स्थापित करने के लिए, विरल से विरलतम परिस्थिति में, दिया जाता है, ताकि मृत्युदंड का आतंक समाज में (अपराधियों के बीच) बना रहे और जघन्य तथा अमानवीय अपराध न हो!
मृत्युदंड से जुड़े आतंक की यह अवधारणा दर्शन, तर्क, उद्देश्य – जो राज्य व्यवस्था ने कायम की है, वह हमारे राज्य और इसके शासन प्रणाली को आतंकवादी के समतुल्य नहीं बना रहा है क्या? यहाँ राज्य व्यवस्था इसलिए मृत्युदंड देती है, ताकि समाज (जहाँ अपराधी भी रहते हैं) में कानून का भय, खौफ तथा आतंक बना रहे! ऐसी स्थिति तो आतंकवादियों के साथ भी है – वह भी अपने उद्देश्य के लिए सुनिश्चित तरीके से जन-हत्या करते हैं!
किसी मनुष्य, संस्था या व्यवस्था द्वारा असहाय मनुष्य की हत्या करना, बर्बर और आदिम प्रवृति रही है! एक उन्नत, प्रगतिशील, लोकतान्त्रिक राज्य का कानून, असहाय मनुष्य की हत्या जैसी आदिम और बर्बर प्रवृति, जो की आतंकियों की फितरत है, को कब तक संरछण देगा?
मैं महसूस करता हूँ की एक आदमी के मरने से समस्या का समाधान नहीं हो सकता! आदमी को मारने से आप समस्या का समाधान नहीं कर सकते! किसी के द्वारा किया गया अपराध पर न तो मुझे कोई शक है न कोई सवाल! भुल्लर दस साल जेल में बिता चुके हैं! जिसमें से आठ साल मौत की सजा का इन्तजार करते बिता! दया याचिका पर विचार के समय इन पहलुओं पर ध्यान रखना चाहिए! आठ साल का प्रत्येक पल मौत से भी बत्तर रहा होगा!

खनन माफिया के नाम से मशहूर कर्नाटक के पर्यटन मंत्री जी. जनार्दन रेड्डी


खनन माफिया के नाम से मशहूर कर्नाटक के पर्यटन मंत्री जी. जनार्दन रेड्डी के ठाठ बाट राजा-महाराजाओं से कम नहीं हैं। वह 2.2 करोड़ रुपये मूल्य के सोने की कुर्सी पर बैठते हैं। यहीं नहीं सोने की बनी 2.58 करोड़ रुपये की कीमत वाली भगवान की मूर्तियों की पूजा करते हैं और करीब 13.15 लाख रुपये की बेल्ट पहनते हैं। यही नहीं मंत्रीजी सोने की थालियों में खाना खाते हैं। उनके घर में सोने की प्लेट, कटोरी और चम्मचों के साथ सोने के चाकू भी हैं, जिसकी कीमत 20.87 लाख रुपये है।
यह आंकड़े मंत्रीजी ने राज्य के लोकायुक्त को खुद दिए हैं। पिछले साल 25 जून को लोकायुक्त को दिए संपत्ति के ब्योरे में उन्होंने यह जानकारी दी है। यह ब्योरा 31 मार्च, 2010 तक का है। इसके मुताबिक तीन पन्नों में सिर्फ उनकी ज्वैलरी का ही विवरण है, जिसकी कीमत करोड़ों रुपये है। उनके पास कई जोड़े सोने की चूडि़यां, हार, ईयररिंग, हीरे, पन्ने, नीलम जड़ित बेशकीमती आभूषण हैं। उनके पास चांदी के बने पूजा के सामान के साथ सजावटी सामान भी है। इसकी कीमत भी लाखों रुपये है। यही नहीं उनके घर में लगे एयर कंडीशनर, टीवी सेट्स और फर्नीचर की कीमत भी लाखों रुपये है।
कृषि योग्य भूमि, कई इमारतों और उनके पूर्वजों की संपत्ति के अलावा जनार्दन रेड्डी की कुल संपत्ति 153.49 करोड़ रुपये है। उनकी वार्षिक आय करीब 31.54 करोड़ रुपये है।

जिस देश कि ८० फ़ीसद जनता को सही ढंग से भोजन उपलब्ध ना हो..................


जिस देश कि ८० फ़ीसद जनता को सही ढंग से भोजन उपलब्ध ना हो, आज़ादी के ६३ साल बाद भी देश कि बड़ी आबादी एक वक्त कि रोटी खाकर अपना जीवन गुजारता हो! बहुसंख्यक आबादी संक्रामक बीमारी से ग्रसित हो और रहने के लिए घर और सोने के लिए बिस्तर ना हो, उस देश का जनप्रतिनिधि २२० लाख रुपये कि कुर्सी पर बैठता है और सोने कि थाली में खाता है!
ऐसा तो राजाओं के राज में भी ना देखा ना सुना! राजा लोग ऐसा करने से डरते थे – विद्रोह की संभावना और बदनामी की आशंका के कारण!
अब तो दुनिया कहती है ‘प्रजा का राज है’, ‘प्रजातंत्र है’!!!???
जियो रेड्डी जी! आपकी काबीलियत कबीले तारीफ है – आपने साबित कर दिया, आपके शहंशाही अंदाज़ के सामने लोकतंत्र कि क्या बिसात
ऐसा इसी कलयुगी कमज़ोर जनता के समाज में संभव है!