Tuesday 10 January 2012

व्यावहारिक ज्ञान



एक बार कुछ विद्वान नाव से नदी पार कर रहे थे| उन्होंने नाविक से पूछा – “क्या तुम पढ़ना-लिखना जानते हो?” नाविक ने जवाब दिया, “नहीं! मुझे पढ़ना-लिखना नहीं आता| मुझे सिर्फ नाव चलाना आता है|” दूसरे विद्वान ने कहा, “तब तो तुम्हारी एक चौथाई जिंदगी व्यर्थ गुजर गई| क्या तुम भूगोल जानते हो? बताओ हिमालय किस दिशा में है?” नाविक ने कहा कि वो भूगोल भी नहीं जनता है| इस पर एक विद्वान बोला, “तब तो तुम्हारी आधी जिंदगी बेकार चली गई| क्या तुम्हे इतिहास का कुछ ज्ञान है? बताओ गौतम बुद्ध का जन्म कहाँ हुआ था?” नाविक ने दुहराया, “मुझे यह भी नहीं मालूम|” इसपर एक विद्वान बोला, “तब तो तुम्हारी तीन चौथाई जिंदगी बेकार चली गई|”

इतने में नदी में तूफ़ान आ गया| लहरों पर नाव डगमगाने लगी| बड़ी मुश्किल से नाविक नाव को संभाले था, लेकिन तूफ़ान और भी बढ़ गया, तब नाविक ने विदानों से पूछा, “क्या आप लोगों को तैरना आता है?” सभी ने एक साथ जवाब दिया. “नहीं! हमें तैरना नहीं आता है|”
नाविक ने कहा, “आप तैरना नहीं जानते हैं? तब तो आपकी पूरी जिंदगी बेकार चली जायेगी|”

और हुआ भी ऐसा ही नाव तूफ़ान नहीं झेल पाई और नदी में डूब गई, साथ ही सभी विद्वान भी डूब गए| परन्तु नाविक तैरता हुआ किनारे पहुँच गया| विद्वानों को जीवन के अंत में एहसास हुआ कि व्यावहारिक ज्ञान पुस्तकीय ज्ञान से कहीं श्रेष्ठ है|


यात्रियों से भरा जहाज समुद्र में जा रहा था| किसी कारणवस जहाज के तल में छेद हो गया और जहाज में पानी भरने लगा| यात्रियों में एक ज्ञानी भी बैठे थे, वे शांत भाव से बैठे सब देख रहे थे| यह देखकर एक यात्री उनसे बोला, “श्रीमान! आप अपने आवश्यक समान क्यों नहीं बाँध लेते, जहाज डूबने वाला है?” ज्ञानी पुरुष बोले, “मेरी आवश्यक वस्तुएं मेरे साथ हैं|”

पानी अधिक भरने के कारण, थोड़ी देर में जहाज डूबने लगा| सभी यात्री अपने आवश्यक समान के साथ समुद्र में कूद गए और तैरने लगे| लेकिन समान का बोझ वे ज्यादा देर तक नहीं ढो पाए| बोझ और थकान के कारण वे एक-एक करके के डूब गए| ज्ञानी पुरुष अच्छा तैराक थे और उन्होंने अपने शरीर से कोई वस्तु भी नहीं बाँध रखी थी| धीरे-धीरे वे तैरते हुए किनारे पहुँच गए| उनकी आवश्यक वस्तु – उनका ज्ञान, उनके साथ था|

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