Wednesday 11 January 2012

सधाक की कसौटी


एक बार एक युवक ने महात्मा से कहा – “मुझे आत्म-साक्षात्कार का मार्ग बताइए!”
महात्मा ने कहा – “आत्मा-साक्षात्कार का मार्ग बड़ा कठिन है| उस पर चलने के लिए साधक को कई कठिनाइयों से होकर गुजरना पड़ता है|”
युवक बोला - “मैं तैयार हूँ| आप बताएं!”
महात्मा – “एकांत स्थान में बैठकर एक वर्ष तक गायत्री मन्त्र का जाप करो! इस दौरान ना किसी से बात करना ना ही कोई मतलब रखना! एक साल पूरा होने पर मुझसे मिलने आना!”

एक साल बीतने पर महात्मा अपने सफाई करने वाली से बोले – “आज मेरा शिष्य आने वाला है| तुम उसके ऊपर झाड़ू से खूब धुल झाड़ना!”

हुआ भी ऐसा ही| जैसे ही एक साल बीतने पर, वह युवक महात्मा से मिलने आया, झाड़ू मारने वाली जोर-जोर से उसे झाड़ू मरने लगी| गुस्से में वह युवक उसे मारने दौड़ा| झाड़ू मारने वाली दौड़ कर भाग गई| थोड़ी देर बाद, वह युवक नहा-धोकर महात्मा के सामने आया|

महात्मा – “तुम तो सांप की तरह काटते हो| जाओ एक साल और साधना करो!”

युवक बहुत क्रोधित हुआ, पर उसके सामने और कोई चारा नहीं था| वह चुपचाप चला गया|

एक साल बीतने पर महात्मा झाड़ू मारने वाली से बोले, “जैसे ही वह युवक आये, तुम उसके शरीर से झाड़ू सटा देना!”

जब युवक एक और साल बीतने पर महात्मा के समीप आया तो झाड़ू मारने वाली ने उसके शरीर से झाड़ू सटा दिया| युवक ने गुस्से में आकर उसे गालियाँ दी| जब वह नहा-धोकर महात्मा के समीप आया तो महात्मा उससे बोले कि अब तुम सांप कि तरह काटते तो नहीं हो लेकिन फुंफकारते जरुर हो| जाओ एक वर्ष और साधना करो| युवक चला गया और इस तरह तीसरा साल भी बीत गया| महात्मा ने झाड़ू मारने वाली से कहा कि इस बार जैसे ही वह युवक आये, तुम उसके ऊपर कूड़े से भरी बाल्टी डाल देना|

झाड़ू मारने वाली ने ऐसा ही किया, लेकिन इस बार युवक को क्रोध नहीं आया|
उसने हाथ जोड़कर कहा – “माता! तुम महान हो| तीन साल से तुम मेरे दुर्गुणों को निकलने का प्रयास कर रही हो, मैं तुम्हारे उपकार को कभी नहीं भूल सकता| इसी तरह तुम मेरे उद्धार का प्रयास करते रहना|”

यह कहकर वह युवक नहाने चला गया| जब नहा कर वह महात्मा के समक्ष आया, तो महात्मा ने उससे मुस्कुराते हुए कहा – “अब तुम आत्म-साक्षात्कार के योग्य हो गए हो|”

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