Thursday 9 June 2011

बदहाल भारत, खुशहाल बाबा


देश की ८० फीसदी व्यक्ति की आमदनी २० रुपये रोज के हिसाब से मात्र ६०० रूपया महीना है| देश के कुछ प्रतिशत लोग आज भी घास की रोटी, छिपकली, साँप, मेंढक आदि को कच्चा-पका खाकर अपना जीवन बसर करते हैं| आधी आबादी से अधिक के परिवारों में जन्म लेने वाले बच्चों को दूध नसीब नहीं होता| जिस देश के आबादी के तीन हिस्से को शुद्ध पानी नसीब नहीं होता, ६७% लोग कुपोषण के शिकार हों, प्रत्येक वर्ष विभिन्न संक्रामक रोगों से लाखों गरीब मरते हो, जिस देश में भूख और उचित ईलाज तथा दवाइयों के आभाव में लाखों गरीब, बूढ़े, बच्चे, नौजवान, औरत मरें; बगैर घर के लोगों को जीना पड़े, ऐसे देश के लोगों पर भगवान, प्रकृति भी दया नहीं करती| क्या धूप, क्या बरसात, क्या गर्मी, क्या ठंडा, सब में बगैर छत के जीना पड़ता है| इस देश में अधिकांश लोगों के लिए आज भी शिक्षा का अर्थ सिर्फ साक्षर होना है| महज साक्षर होना हमारे ज्ञान को सामाजिक, वैज्ञानिक, भौतिक, अध्यात्मिक के लायक नहीं बनाती| ना तो समाज इन लोगों (आम ग़रीब जनता) को अच्छे दृष्टि से देखती है ना ही इनके जीवन यापन की कोई समुचित व्यवस्था है| ऐसे देश में रामदेव जी जैसे सैकड़ों बाबा, सन्यासी, स्वयम्भू भगवान को मुट्ठी भर कॉरपोरेट जगत के बड़े लोग, मीडिया, नेता, ब्यूरोक्रेट और अंग्रेजी पढ़े-लिखे लखपति लोगों ने गरीब, अशिक्षित और बेरोजगार लोगों का भगवान बना दिया| चमत्कार, अंधविश्वास, कर्मकांड के नाम पर लूटने की खुली आज़ादी दे दी है| ऐसे बाबा लोगों ने ही समाज को दिग्भ्रमित कर पहले अपना भक्त बनाया, फिर व्यापारी की तरह लूटा| लूटना ही इनका मात्र एक ध्येय है|    
जिसकी आमदनी १६ वर्ष पूर्व २ हज़ार भी नहीं थी, जो कुछ वर्ष पूर्व तक १५०० रूपया महीना कमाते थे, उसने अपने व्यवसाय को इतना कैसे बढ़ा लिया| क्या इनके पास पैसा छापने की मशीन है कि जितना मन चाहा छाप लिया? क्या यही लोकतंत्र है? सभी बाबाओं को आप गौर से पहचानें| ये लोग कौन हैं? क्या थे? कहाँ से आये? इन लोगों के कुकर्म या सुकर्म क्या-क्या हैं? इन लोगों का चाल-चरित्र क्या-क्या है? रामदेव जी तथा अन्य बाबाओं के बारे में दुनिया को जानना जरुरी है| १५ साल पहले ८वीं पास रामदेव जी अपने घर से हरिद्वार पहुंचे और किसी आश्रम में शरण ली| फिर धीरे-धीरे किसी के शिष्य बने, फिर क्या था खुल गया रामदेव जी का भाग्य| कुछ वर्षों में ही खुद बाबा बन गए| और कुछ महीनों में इनके ५० शिष्य भी बन गए| ऐसे ही शुरू होती है बाबाओं, सन्यासियों की कहानी और शुरू हो जाता है बाबा लोगों का अपना साम्राज्य, जहाँ दुनिया के सभी तरह के भौतिक सुख उपलब्ध होते हैं| ऐशो-आराम, भोग-विलासिता, सूरा-सुंदरी सब कुछ इनके लिए उपलब्ध रहता है| किसी ने सही कहा है “जो मजा अमीरी और फकीरी में है वह मजा अन्यत्र नहीं” |

भोली-भाली जनता वर्षों-वर्ष, अपने भाग्य, किस्मत के सहारे उम्मीद लगाये रहती है कि कोई बाबा या भगवान आयेंगे और उनके जीवन में चमत्कार कर जायेंगे| इसी उम्मीद और धर्म, भगवान, अंधविश्वास पर आस्था के कारण बाबा, सन्यासी लोगों की भारत में चांदी है| जितना मन हो अंधविश्वास में धकेल देना है| ताकि अंधविश्वास वाली जो मशीन है वह कभी खराब ना हो| भारत में धर्म के नाम पर जितना अरबों-खरबों कमा सकते हो, कमाते चलो| बाबा रामदेव जी ने भी इसी एक मात्र पद्धति का इस्तेमाल किया और १५०० रुपये से शुरू कर १५ हज़ार करोड़ रुपये से अधिक के मालिक हो गए| क्या आपको यह सुनने में अच्छा लगेगा कि इसी भारत के गाँव में एक व्यक्ति कि महीने कि आमदनी मात्र ३६५ रूपये है, जो परिवार किसी तरह अपना गुजर कर पता है, मात्र इतने आमदनी में कोई और दैनिक काम तो छोड़ दीजिए, वह भोजन भी ठीक से नहीं कर पायेगा| इस देश के महानगरों में आज भी १०-१५ हज़ार लोग सर पर मैला ढोते हैं| बिहार में सालाना आय प्रति व्यक्ति मात्र ४६१६ रूपया है| सरकारी आँकड़े के मुताबिक एक व्यक्ति को २१००-२४०० से किलोकैलोरी वाला भोजन चाहिए, परन्तु जिसकी आमदनी ३६५ रुपये गाँव में और ५३९ रुपये शहर में हो तो क्या इतने कम आमदनी में देश के ७०% लोग ऐसा भोजन कर पाएँगे? जबकि उस आमदनी से घर, स्वास्थ्य, शिक्षा की व्यवस्था किसी कीमत पर संभव नहीं है|

इस देश के २२ करोड़ ३० लाख घरों में से मात्र १३ करोड़ ४० लाख घरों में ही टीवी है| जिसमें आधे घरों में केबुल नहीं है| संचार क्रांति के इस युग में, १ अरब २१ करोड़ कि आबादी वाले इस देश के सिर्फ ८ करोड़ १० लाख लोग ई इन्टरनेट का इस्तेमाल कर पाते हैं| सर्वे के अनुसार हर साल भारत में १,३०,००० हज़ार लोगों की मौत सिर्फ सड़क दुर्घटना में होती है, जो कि विश्व भर में सबसे अधिक है| भारत के अस्पतालों में प्रत्येक १००० व्यक्ति के लिए मात्र १ बिस्तर ही उपलब्ध है, जबकि दुनिया में औसतन १००० व्यक्ति के लिए ४ बिस्तर उपलब्ध है| हर साल भारत में ५६ लाख बच्चे मरते हैं, यह दुनिया के समूचे के आधे से ज्यादा है| डब्ल्यू.एच.ओ. (WHO) के अनुसार भारत में हर साल सिर्फ हैजा जैसी बीमारी से ७ लाख बच्चे मरते हैं| एक कमरे के घर में पुरे परिवार समेत गुजारा करने वाले आबादी के ४०% से अधिक हैं| भारत में मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर आदि की कुल संख्या कम से कम २४ लाख है जो कि यहाँ के अस्पतालों, स्कूलों और कॉलेजों कि संख्या के योग से काफी ज्यादा है| भारत के शहरों में रहने वालों ४५% लोग ही अखबार पढते हैं|

पुरे दुनिया में जितनी कारें हैं उसका मात्र १% ही भारत है, जबकि पुरे दुनिया में घटने वाली कार दुर्घटनाओं का १०% सिर्फ भारत में ही घटता है| आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि भारत में सड़क दुर्घटना से आर्थिक घाटा जी.डी.पी (GDP) का ३% है| पुरे दुनिया में जितने गरीब हैं उसका एक चौथाई सिर्फ भारत में है| भारत के शहरों में १५ करोड़ लोग झुग्गी-झोपड़ी में रहते हैं| मुंबई के आधी आबादी के पास सर छुपाने के लिए छत नहीं है, इनको किराये का भी बसेरा नसीब नहीं है, ये लोग फुटपाथ पर, खुले मैदानों में, सडकों पर और सरकारी रैन बसेरों में सोते हैं| दुनिया का सबसे बड़ा स्लम (झुग्गी बस्ती) मुंबई के धरावी में है, यह ४३२ एकड़ में फैला हुआ है|

भारत के ५ साल से कम उम्र के १००० में से लगभग ६३ बच्चे मर जाते हैं| उड़ीसा में ३१% बच्चे खाना खाने के लिए तरसते हैं| सिर्फ महाराष्ट्र के १५ जिलों में ६ साल से कम उम्र के ९००० आदिवासी बच्चे मर गए थे| भारत के राजधानी दिल्ली में १ लाख ५० हज़ार बच्चे सड़क पर अपना जीवन व्यतीत करते हैं|

भारत के २० हज़ार में से सिर्फ १ व्यक्ति ही उच्च शिक्षा ग्रहण कर पता है| हमारे यहाँ प्रत्येक २२० बच्चों पर सिर्फ १ शिक्षक की व्यवस्था है|

भारत में टी.वी. की बीमारी से सलाना ४ लाख ५० हज़ार लोग मरते हैं| यहाँ २०८३ लोगों के लिए मात्र १ ही डॉक्टर की व्यवस्था है|

मै यहाँ आपको बता देना चाहता हूँ कि थाने, अस्पताल, ब्लाक, पंचायत या सरकार के किसी ना किसी कार्यालय में अंकित आंकड़ों का ही यह सर्वे है| गाँव या सुदूर क्षेत्र में जहाँ सैकड़ों-हजारों लोग बीमारी या अन्य किसी वजह से मरते हैं उनका कोई लेखा-जोखा नहीं होता| कितने ही लोग गाँव और शहर में ऐसे हैं जो किसी थाने, अस्पताल या सरकारी दफ्तर में मामला दर्ज नहीं करवाते हैं, ऐसे लोगों की संख्या सर्वे से ज्यादा है|

अब आप ही बतायें कि जिस भारत के गाँव, शहर की स्थिति इतनी भयाबह और दर्दनाक हो वहाँ पर बाबा रामदेव अपने योग शिविर में सिर्फ प्रवेश के लिए १००० रुपये फीस लेते हैं| यह कैसा इन्साफ है? प्रवेश के बाद, जिन्हें योग शिविर में भाग लेना होता है उन्हें अगली पंक्ति में बैठने के लिए ३० हज़ार रुपये लगते हैं, मध्यम २० हज़ार रुपये और पीछे के लिए ५ हज़ार चुकता करना पड़ता है| क्या इस चतुर और लालची व्यापारी को आप साधू, बाबा या सन्यासी कहेंगे? जो आंकड़ें आपके सामने रख रहा हूँ, इसके बाद भी क्या आप रामदेव को एक कुशल व्यवसायी से ज्यादा कहेंगे? जिस व्यक्ति को पतांजलि योगपीठ कि सदस्यता ग्रहण करनी हो उसे विशिष्टता के अधार पर बांटा गया है:
(क) कॉर्पोरेट जगत वालों के लिए कोरपोरेट सदस्यता का शुल्क– ११ लाख रुपये
(ख) संस्थापक सदस्य – ५ लाख रुपये
(ग)  संरक्षक सदस्य – २५ लाख रुपये
(घ)  आजीवन सदस्य – १ लाख रुपये
(ङ)   विशिष्ट सदस्य – ५१ हज़ार रुपये
(च)  सम्मानित सदस्य – २१ हज़ार रुपये
(छ) जो सबसे कम है सदस्य कि फीस वो है ११ हज़ार रुपये|

इतना ही नहीं इनके और भी व्यवसायी चेहरे को समझें| एक कॉर्पोरेट सदस्य को ठहरने के लिए साल में एक या दो बार डिलक्स वातानुकूलित सुविधा प्राप्त है| उसे खास मौके पर ही बुलाया जाता है|

बाबा के बारे में आप और जानकारी जरूर रखें कि आपके रुपये से ये कितने बड़े व्यापारी बन गए| इनके पास कौन-कौन सी कम्पनियां हैं:-
(क) वैदिक आस्थाभजन ब्राडकास्टिंग प्रा लि – टी.वी. कार्यक्रम निर्माण और प्रसारण कंपनी
(ख) वैदिक ब्राडकास्टिंग लि -  टी.वी. कार्यक्रम निर्माता और प्रसारण कंपनी
(ग)  पतांजलि आयुर्वेद लिमिटेड – आयुर्वेदिक दवा-खाद्य पदार्थों की निर्माता
(घ)  झारखण्ड मेगा फ़ूड पार्क प्रा लि – फ़ूड पार्क
(ङ)   डायनमिक बिल्डकॉन प्रा लि – भवन निर्माण कंपनी
(च)  पतांजलि टेक्सटाइल प्रा लि – वस्त्र निर्माण कंपनी
(छ) पतांजलि फ्लेक्स्पैक प्राइवेट लिमिटेड – पैकेजिंग कंपनी
(ज) पतांजलि परिवहन प्राइवेट लिमिटेड – ट्रांसपोर्ट कंपनी
(झ) पतांजलि हाइड्रोपोनिक्स लिमिटेड – हर्बल पार्क बनाने वाली कंपनी


बाबा योग सिखाते-सिखाते घर बेचने लगे, कपड़े बेचने लगे, अपना बिस्कुट, दवाइयाँ, अपना टी.वी. चैनल आदि सब में महारत हासिल कर ली| सिर्फ उनकी दवाइयों से १००-२०० करोड़ का मुनाफा होता है| दो सौ देशों में इनकी अनुयायियों की बड़ी संख्या है, जो अनाप-शनाप दान देते रहते हैं, जिसका कोई लेखा-जोखा ये नहीं देते हैं| ग्लास्को, ब्रिटेन, अमेरिका, न्यू जर्सी, मिशिगन, टेक्सास, न्यू योर्क, जोर्जिया, और कैलिफोर्निया में योग उपचार ट्रस्ट हैं|

अब ये जापान और मलेशिया में अपना कैम्प खोलने जा रहे हैं| बाबा को अमेरिका के हस्टन शहर में १०० एकड़ जमीन दान में मिली है, जहाँ आश्रम जायेगा| ये हैं हमारे रामदेव जी|

मैं किसी आलोचना के लिए नहीं लिख रहा हूँ, मेरा मानना है कि बाबा के भीतर छुपे कई चेहरे को जनता के सामने लाना चाहिए| उन्हें सच्चाई कुबूलना चाहिए कि मै एक योगी कम और भोगी ज्यादा हूँ| मुझे राजनीति करनी है, मेरे पास अकूट संपत्ति है जो जनता द्वारा दी गयी है| उसका इस्तेमाल कभी तो करना ही है| वैसे ये देश के बड़े कॉर्पोरेट भी बन गए हैं| क्या कभी आपने सुना कि इतनी सारी कंपनियाँ और इतनी दौलत किसी भगवान, बाबा, साधू या सन्यासी के पास हो|

आप जिस की भी आराधना करते हों – कृष्ण, मुह्हमद, यीशु, गूरू गोविन्द, सिरडी: के साईं बाबा, कबीर, बुद्ध, राम या विवेकानंद की; क्या अपने कभी सुना कि इन लोगों ने कभी व्यापार किये या दवाई बेचे? क्या किसी ऋषि-मुनि ने योग सिखाने के लिए फीस लिया या किसी के पास इतनी अकूत संपत्ति थी? यह सिर्फ इन्ही कलयुगी बाबा, स्वयम्भू भगवान, सन्यासी और साधू लोगों के पास संभव है|

आपको जागना होगा, चिंतन करना होगा कि समाज को इन पाखंडियों से कैसे बचाया जाये| नौजवानों को अंधविश्वास के रास्ते पर जाने से कैसे रोका जाये| इन पापियों के खिलाफ आपको उठना होगा, तभी समाज बचेगा| मेरे लिखने का मतलब सिर्फ आपको आपके संस्कृति कि याद दिलाने कि है ताकि आपलोग समाज को बचा सकें| इन बहुरूपियों से आम आदमी को बचाना एक मात्र उद्देश्य है|

2 comments:

  1. Ramdeo baba ke fasting se lagta hai congres govt. ki chool hil gai hai. sharad pawar ne chini ka dam apne factory ke labh ke liye badha diya tab sab chup they. kya A Raja se bhi gande trah se BaBa ne paise jama kiye hain.

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  2. Dear Indu ji,hamare desh main loot har taraf hai,jise jahan milta hai wo wahan se lootta hai.
    Ak baat or hum bhartiya logo ko agar kaha jay ki baba ko dan dena hai to hum 5 ki jagah 25 karte hain,wahin agar kisi garib ko dan dene ki baat ho to hum mukar jate hain.hame agar apne desh,apne samaj ko sudharna hai to hame khud se suruwat karni hogi.TC

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