Friday 17 June 2011

इच्छा शक्ति की आम जीवन में आवश्यकता


 
(क) भयबोध मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है| भय ही मनुष्य को कायर बनाता है और भय ही मनुष्य को ताक़तवर व्यक्ति, सत्ता और पैसे वालों के सामने समर्पण करवाता है| जिस व्यक्ति के भीतर इच्छाशक्ति होगी उसे भय नहीं होगा| वही व्यक्ति मनुष्य और समाज की सेवा कर सकता है|
जैसे – सुकरात ने अपनी जिंदगी में सत्य समझने को सबसे पहली चुनौती के रूप में स्वीकार किया| सत्य की शुरुआत दुनिया में सुकरात ने मनुष्य के सामने व्यावहारिक पहलुओं को रख कर की थी| सत्य के सवाल पर ही न्यायलय के द्वारा सुकरात को फांसी की सजा मिली थी| सत्य को समझना और जानना ही जिंदगी की सबसे कठोर और महत्वपूर्ण पहलू है| सुकरात के दृढ इच्छाशक्ति के कारण ही आज दुनिया में सत्य स्थापित है|

(ख) नेपोलियन के जीतने का मात्र यही कारण था कि उसने हमेशा संघर्ष को प्राथमिकता दी| हमेशा कहते थे, “उठो और संघर्ष करो” (getup and struggle)!”
एक बार नेपोलियन के सैनिक युद्ध कर रहे थे, युद्ध के बीच में ही सेनापति ने नेपोलियन से कहा, “हमलोग कमज़ोर पड़ रहे हैं और दुश्मन मज़बूत है, इसलिए हमें वापस लौट जाना चाहिए|” नेपोलियन ने कहा, “अगर पीछे मुड़े तो मेरे हाथों मारे जाओगे और आगे दुश्मन मार देगा, चुनो कि तुम्हे क्या करना है!” सेना ने दुश्मनों के हाथों ही मरना उचित समझा| सेना आगे बढती गयी और युद्ध जीतती गयी| यह जीत नेपोलियन के इच्छाशक्ति के कारण ही हुयी|

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