Friday 17 June 2011

जीवन में लक्ष्य होना चाहिए


समाज सेवा करना है तो लक्ष्य होना चाहिए|
“आत्म मोक्षर्थम जगत हिताय च”
अपनी आध्यात्मिकता उन्नति करना और साथ में जगत की सेवा करना, समाज को शोषण मुक्त करके आगे बढ़ाना, यह जीवन का आदर्श होना चाहिए| यही सही आध्यात्मिकता है|

सिर्फ मंदिर में जाना, फूल चढाना, आरती-प्रार्थना करना, भागवत चर्चा करना, यज्ञ करना; यह अध्यात्मिकता नहीं है| अपने भीतर जो बुराइयां हैं, दूसरों से हम कितना प्यार करते हैं, दूसरों की तकलीफ को अपना समझते हैं और सेवा करते हैं, उसमे मेरा कोई स्वार्थ है या नहीं, मन पर मेरा संयम है या नहीं, मानसिक शांति मेरे पास है या नहीं और मै अध्यात्मिक विकास कर रहा हूँ या नहीं; इन सब बातों पर हमें ध्यान देना होगा|

हम जब सदाशिव जी का जीवन देखते हैं तो हम पाएँगे कि उन्होंने समाज का अध्यात्मिक मार्गदर्शन किया| साथ में समाज के प्रति अपना उत्तरदायित्व समझा, समाज का हर स्तर पर मार्गदर्शन किया, और हर समस्या का समाधान किया| कृष्ण ने ब्रजभूमि पर भक्ति की जमुना बहा दी पर राज-पाट करते समय पारस-सारथी का रूप लिए हुये महाभारत में अहम भूमिका निभाई|

अपने को समाज के भलाई के काम में लगाया, गीता का ज्ञान दिया और मार्गदर्शन किया| आनंदमार्ग का रास्ता भी “आत्म मोक्षार्थ जगत हिताय च” का है| साधना – सहजयोग, साधारणयोग, विशेषयोग, तंत्रसाधना, मधुरसाधना, कायालीं साधना – जगत के कल्याण के लिए|

1 comment:

  1. Achchhe vichar hain sabhi ko apne jiwan lana chahie.

    ReplyDelete