Monday 20 June 2011

धन हमेशा अहंकार और अनर्थ को जन्म देती है



अर्थम्, अनर्थम्, या यदि वा अचलम् : धन यदि चलायमान हो तो वह जगत का कल्याण करती है, और यदि किसी व्यक्ति विशेष की मूर्ति बन जाये, रुक जाये तो अनर्थ को पैदा करती है| जैसे, पानी को यदि चारों तरफ से रोक दिया जाये तो यह प्रकृति के खिलाफ होगा और वहाँ कजली (काई) जम जायेगी, फिर क्या जैसे ही कोई स्नान करने जायेगा तो फिसल कर डूब जायेगा, जीवन का अंत हो जायेगा; वैसा ही परिणाम धन को रोकने से भी होता है|

धन यदि चमत्कारी बाबाओं, संतों, धनपशुओं और नेताओं की शोभा बढाती है तो सिर्फ अहंकार, तृष्णा और घृणा को ही जन्म देगी| अहंकार, तृष्णा और घृणा जैसे जहर, मानव सभ्यता को समाप्त करने के लिए पर्याप्त है| मेरा मानना है कि इससे कई गुणा कम धन जो सत्यसाईं के घर से मिला, यदि यही धन अगर किसी आम आदमी या नेता के घर से मिला होता तो मीडिया ने पुरे देश में हाय-तौबा मचा दिया होता| सरकार मीडिया के डर से आम आदमी को दबोच कर वाहवाही लूटने में जुट जाती| वाह! क्या तत्परता दिखाती है सरकार! बेचारी पब्लिक सरकार की जय-जयकार करते नहीं थकती और साथ ही सोने, चांदी, हीरे, जवाहरात और रुपये की पूजा करने वाले बाबाओं की भी जय-जयकार करते रहते हैं| तर्क यह दिया जाता है कि लोगों से इकठ्ठा किया गया धन, आम लोगों के कल्याण के लिए ही लगाया जा रहा है| यदि ये बाबा लोग इतने ही मेहरबान होते तो आज देश में ना कोई भूखा, ना कोई गरीब, ना कोई शोषित और ना ही कोई अशिक्षित या बेरोजगार होता| देश की ये समस्यायें जड़ से ही समाप्त हो गईं होती| देश के आम आदमी राम राज्य की तरह खुशहाल होते| चारों तरफ अमन ही अमन होता|

मेरा मानना है कि यह जो विदेशों से काला धन वापस लाने के लिए प्राण-प्रतिष्ठा दिया जा रहा है, यह जरूरी है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता, परन्तु पहले अपने ही देश में अपने ही गुरु, बाबाओं के पास कालेधन महाभंडार के रूप में जो अकूट संपत्ति जमा है (लगभग डेढ़-पौने दो लाख करोड़ रुपया) उसे कौन निकलेगा? उसके लिए कौन समाजसेवी अपनी जान देंगे? देश के भीतर का काला धन मनुष्य के कल्याण में लगा दिया जाये तो देश की कई आर्थिक समस्यायें खत्म हो जाये| परन्तु इन बहुरूपिये भगवान के खिलाफ कौन बोलेगा – ना जनता! ना कानून! और ना सरकार! भगवान के लिए किताबों में लिखा है, कोई तर्क-वितर्क नहीं होना चाहिए... भगवान का मतलब से विवेक और ज्ञान का कोई औचित्य नहीं, सिर्फ आँख बंद कर समर्पित हो जाना| भगवान को समझने के लिए, आस्था और विश्वास किसी व्यक्ति को इस बात की इजाजत नहीं देती है कि वह विवेक या ज्ञान का इस्तेमाल करे| इसी तर्क के कारण बाबाओं के मौज ही मौज हैं|

भक्ति और शक्ति में सब कुछ जायज है| इन बाबाओं के पास कहाँ से आता है इतना बड़ा खजाना? क्यों नहीं इसे सार्वजनिक किया जाता है? यह जो सत्य साईं बाबा के घररूपी मंदिर से इतना बड़ा खजाना निकला! मेरा मानना है कि यह तो ट्रेलर मात्र था, असली रूप तो अभी बाकी है| लगता नहीं की कभी पूरा पिक्चर देखने को मिलेगा| क्या बाबा रात भर खजाने की पूजा करते थे? इन बाबाओं के लिए धन ही भगवान है? धनोपार्जन में ही बाबाओं का सब कुछ निहीत है? सरकार को चाहिए की तुरंत साईं के सभी ट्रस्ट को अपने कब्ज़े में करे या सरकार के निगरानी में इनका संचालन हो| ट्रस्ट की संपत्ति को सिर्फ अस्पताल और स्कूल में ही लगाया जाना चाहिए ताकि गरीब लगों की जिंदगी बच सके और गरीब परिवार के बच्चे निशुल्क और अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकें|

ये बाबा लोग जो भगवान का चोला पहनकर लूट रहे हैं और समाज में अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं, इसपर सरकार और कानून के मुताबिक रोक लगना चाहिए| मनुष्य और समाज के लिए अंधविश्वास, कर्मकाण्ड आदि अत्यंत ही घातक हैं, ये मनुष्य को भाग्यवादी और किस्मतवादी बना देते हैं| ये लोग मनुष्य को भगवान, धर्म और अंधविश्वास के भरोसे जीने के लिए विवश करते हैं| लोग इन बाबाओं पर अपने जीवन को छोड़ देते हैं|

खास तौर पर, जिस तरह सत्य साईं, लोगों से ठगे हुये सोने और चांदी के अम्बार को अपनी जागीर समझकर अपने पूजाघर और सोने के कमरे में छिपाए हुये थे, इससे साफ़ जाहिर होता है कि किसी तरह से सही मायने में ये संत या सन्यासी नहीं हो सकते| ऐसे लोगों को समाज के सामने नंगा करना चाहिए| जब तक बेचारी जनता के सामने इनलोगों के चाल-चरित्र, कुकर्म और कारनामों का भंडाफोड़  नहीं होगा, तब तक ये बाबा आम जनता के भगवान ही बने रहेंगे, आस्था और विश्वास के नाम पर लूटते ही रहेंगे और धोखा देकर आवाम के बदौलत समाज में स्थापित रहेंगे|

जरुरी है इनलोगों के भीतर भय पैदा हो| यह भय सिर्फ आवाम ही इनके भीतर पैदा कर सकती है| इसलिए आवाम ही इन तथाकथित भगवान को समझे| राष्ट्र, समाज और मानव जाति के सभ्यता को बचाना है तो इन बाबाओं के काले कारनामों को रोकना होगा|
न्याय, कानून और सरकार को भी (बाबाओ के) भय से निकलकर कठोर निर्णय लेना होगा| बाबाओं को समाज में स्थापित होने से रोकना होगा| तभी राष्ट्र का कल्याण संभव है|

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