Thursday 16 June 2011

जिसकी लाठी उसकी भैंस सरकार का एक मात्र सच



अक्सर देखा या सुना गया है की केन्द्र में जिसकी सरकार रहती है, वह अपने सुविधा और आवश्यकता अनुसार किसी भी जांच अजेंसी का इस्तेमाल करती है| यह किसी एक सरकार या पार्टी पर लागू नहीं होता है| इस मामले में जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत चरितार्थ है|

वर्तमान में जो समाचार आमलोगों के बीच आ रही है की कांग्रेस कि सरकार अपने विरोधियों को पुन: जांच अजेंसी के माध्यम से तंग करना शुरू कर दी है| ऐसा इसलिए कहा गया कि तीन-चार रोज के अंदर आयकर विभाग ने अन्ना हजारे के ट्रस्ट वाले खातों पर अंदर ही अंदर कारवाई शुरू कर दी है| वैसे मेरा मानना है कि यदि ऐसी कोई कारवाई केन्द्र सरकार करने की सोंचती है या करवा रही है तो यह स्वस्थ परंपरा नहीं है| देश की जनता बहुत दयावान होती है| विपक्षी तुरन्त कहना शुरू कर देंगे कि जानबूझ कर तंग किया जा रहा है और भारत के लोग मान भीं लेंगे, जो पहले भी होता रहा है|

तारीख गवाह है, अपने बचाव में सत्ता (सरकार) हर संभव उपाय करने के लिए कुख्यात है| वैसे आज के तारीख में, कोई भी सरकार इस तरह की कोई कदम नहीं उठाएगी जिससे सरकार के विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगे| मेरा स्पष्ट मानना है की मनमोहन सिंह जी और सोनिया जी के रहते यह संभव नहीं होना चाहिए| वैसे अन्ना हजारे जैसे ईमानदार व्यक्ति के मन, कर्म, वचन पर ऐसी किसी भी अनर्गल बातों का कोई असर नहीं पड़ेगा| ईमानदार व्यक्ति का सभ कुछ आईने के तरह साफ़ दिखता है| जिन्हें जो जांच करनी हो, अन्ना जी घबराने वाले नहीं हैं और यदि नीचे स्तर पर ऐसी कोई खिचड़ी पक रही है तो सोनिया जी और प्रधानमंत्री जी को अविलम्ब हस्तक्षेप कर राजनैतिक मर्यादा की रक्षा करनी चाहिए|

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